बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 12 Apr 2022 06:10 PM IST
सार
मार्च महीने में भी खुदरा महंगाई में इजाफा हुआ है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो मार्च में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले फरवरी में खुदरा महंगाई 6.07 फीसदी की दर से बढ़ी थी।
देश के लोगों को महंगाई के मोर्चे पर एक बार फिर से जोरदार झटका लगा है। जैसा कि विभिन्न रिपोर्टों में अनुमान लगाया गया था, उसके मुताबिक मार्च महीने में भी खुदरा महंगाई में इजाफा हुआ है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो मार्च में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले फरवरी में खुदरा महंगाई 6.07 फीसदी की दर से बढ़ी थी।
यह खुदरा मुद्रास्फीति पिछले 17 महीने में सबसे ज्यादा है। मुद्रास्फीति अब भी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6.07 प्रतिशत के स्तर पर थी। यह लगातार तीसरा महीना है जबकि खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इससे पहले अक्तूबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी।

मार्च में खाद्य वस्तुओं के दाम 7.68 प्रतिशत बढ़े। इससे पिछले महीने खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 5.85 प्रतिशत थी। पिछले साल मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 5.52 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत पर थी। रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है। सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया हुआ है। जनवरी-मार्च की तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 6.34 प्रतिशत रही है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से खाद्य तेलों की कीमतों में उछाल आया है जिसके चलते तेल और वसा खंड की मुद्रास्फीति माह के दौरान बढ़कर 18.79 प्रतिशत पर पहुंच गई। मार्च में सब्जियों के दाम 11.64 प्रतिशत बढ़े जबकि मांस और मछली की कीमतों में फरवरी, 2022 की तुलना में 9.63 प्रतिशत का इजाफा हुआ। हालांकि, मार्च में ईंधन और प्रकाश खंड की मुद्रास्फीति घटकर 7.52 प्रतिशत पर आ गई, जो फरवरी में 8.73 प्रतिशत थी।
विस्तार
देश के लोगों को महंगाई के मोर्चे पर एक बार फिर से जोरदार झटका लगा है। जैसा कि विभिन्न रिपोर्टों में अनुमान लगाया गया था, उसके मुताबिक मार्च महीने में भी खुदरा महंगाई में इजाफा हुआ है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो मार्च में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले फरवरी में खुदरा महंगाई 6.07 फीसदी की दर से बढ़ी थी।
यह खुदरा मुद्रास्फीति पिछले 17 महीने में सबसे ज्यादा है। मुद्रास्फीति अब भी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6.07 प्रतिशत के स्तर पर थी। यह लगातार तीसरा महीना है जबकि खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इससे पहले अक्तूबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी।

मार्च में खाद्य वस्तुओं के दाम 7.68 प्रतिशत बढ़े। इससे पिछले महीने खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 5.85 प्रतिशत थी। पिछले साल मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 5.52 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत पर थी। रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है। सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया हुआ है। जनवरी-मार्च की तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 6.34 प्रतिशत रही है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से खाद्य तेलों की कीमतों में उछाल आया है जिसके चलते तेल और वसा खंड की मुद्रास्फीति माह के दौरान बढ़कर 18.79 प्रतिशत पर पहुंच गई। मार्च में सब्जियों के दाम 11.64 प्रतिशत बढ़े जबकि मांस और मछली की कीमतों में फरवरी, 2022 की तुलना में 9.63 प्रतिशत का इजाफा हुआ। हालांकि, मार्च में ईंधन और प्रकाश खंड की मुद्रास्फीति घटकर 7.52 प्रतिशत पर आ गई, जो फरवरी में 8.73 प्रतिशत थी।
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