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बांदा। केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत केन नदी पर भूरागढ़ और पैलानी क्षेत्र में बनने वाले दो बैराज के काम पर ब्रेक लग गया है। केन नदी का जलस्तर बढ़ने से फिलहाल सर्वे का काम नवंबर माह तक रोक दिया गया है। नदी में पानी अधिक होने से मिट्टी का परीक्षण ठीक प्रकार से नहीं हो पा रहा है। बारिश बाद दोनों बैराज का निर्माण कार्य शुरू होना था, मगर सर्वे का काम पूरा नहीं होने से निर्माण कार्य अब मार्च 2023 के बाद ही शुरू हो पाएगा।
केन-बेतवा लिंक अथॉरिटी की ओर से मई 2022 में दो बैराजों के निर्माण को हरी झंडी मिली है। दोनों ही केन नदी पर बनाए जाने हैं। पहला बांदा शहर के निकट भूरागढ़ और दूसरा पैलानी क्षेत्र में केन व चंद्रावल नदी के मिलान के करीब बनना है। प्रत्येक बैराज की क्षमता 130 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) है।
यूपी केन-बेतवा लिंक परियोजना के अधिशासी अभियंता राघवेंद्र गुप्ता ने बताया कि केन नदी का जलस्तर बढ़ जाने से सर्वे का काम रोक दिया गया है। अब पानी कम होने पर ही दोबारा से सर्वे का काम शुरू हो पाएगा। यदि पानी कम नहीं हुआ सर्वे का काम जनवरी में चालू होगा।
1,92,479 हेक्टेयर कृषि भूमि की हो पाएगी सिंचाई
करीब दो हजार करोड़ की लागत से बनने वाले इन बैराज से सूखाग्रस्त बुंदेलखंड की 1,92,479 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होगी और जिले के करीब 20 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिलेगा।
बांदा। केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत केन नदी पर भूरागढ़ और पैलानी क्षेत्र में बनने वाले दो बैराज के काम पर ब्रेक लग गया है। केन नदी का जलस्तर बढ़ने से फिलहाल सर्वे का काम नवंबर माह तक रोक दिया गया है। नदी में पानी अधिक होने से मिट्टी का परीक्षण ठीक प्रकार से नहीं हो पा रहा है। बारिश बाद दोनों बैराज का निर्माण कार्य शुरू होना था, मगर सर्वे का काम पूरा नहीं होने से निर्माण कार्य अब मार्च 2023 के बाद ही शुरू हो पाएगा।
केन-बेतवा लिंक अथॉरिटी की ओर से मई 2022 में दो बैराजों के निर्माण को हरी झंडी मिली है। दोनों ही केन नदी पर बनाए जाने हैं। पहला बांदा शहर के निकट भूरागढ़ और दूसरा पैलानी क्षेत्र में केन व चंद्रावल नदी के मिलान के करीब बनना है। प्रत्येक बैराज की क्षमता 130 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) है।
यूपी केन-बेतवा लिंक परियोजना के अधिशासी अभियंता राघवेंद्र गुप्ता ने बताया कि केन नदी का जलस्तर बढ़ जाने से सर्वे का काम रोक दिया गया है। अब पानी कम होने पर ही दोबारा से सर्वे का काम शुरू हो पाएगा। यदि पानी कम नहीं हुआ सर्वे का काम जनवरी में चालू होगा।
1,92,479 हेक्टेयर कृषि भूमि की हो पाएगी सिंचाई
करीब दो हजार करोड़ की लागत से बनने वाले इन बैराज से सूखाग्रस्त बुंदेलखंड की 1,92,479 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होगी और जिले के करीब 20 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिलेगा।