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बांदा। पशुओं की जानलेवा बीमारी गलाघोटू की रोकथाम के लिए चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान दम तोड़ रहा है। जुलाई बीत जाने के बाद भी शत प्रतिशत पशुओं का टीकाकरण नहीं हो सका। विभाग इसके लिए वैक्सीन की कमी बता रहा है। बरसात के दिनों में पशुओं की संक्रामक बीमारी ‘गलाघोटू’ के बचाव के लिए मई, जून में टीकाकरण हो जाना चाहिए, लेकिन इस वर्ष जुलाई माह में टीकाकरण अभियान शुरू किया गया।
चित्रकूटधाम मंडल के चारों जनपदों में 14,84,000 पशुओं को टीकाकरण किया जाना है, लेकिन एक माह बीत जाने के बावजूद 6,40,420 (52 फीसदी) पशुओं का ही टीकाकरण हो सका है। 5,90,830 (48 फीसदी) पशुओं का टीकाकरण नहीं हो सका।
उप निदेशक पशुपालन मनोज कुमार का कहना है कि मंडल को 12,58,300 वैक्सीन की जरूरत है। इसके एवज में अभी तक केवल 60 फीसदी तक ही खुराक मिल पाई है।
मंडल में ऐसे हुआ टीकाकरण
बांदा में 5,43,000 में 2,03,040, महोबा में 2,21,000 में 1,57,780, चित्रकूट में 4,16,000 में 29,000, हमीरपुर में 34,000 में 1,03,300 पशुओं का टीकाकरण हुआ।
इस वजह से पशु होते बीमार
बारिश के मौसम में यह बीमारी ज्यादा पांव पसारती है। यह जानलेवा संक्रामक रोग खराब पानी व संक्रमित भोजन से होता है। पशु को ठंड के साथ तेज बुखार आता है और वह खाना पीना छोड़ देता है। आंखों और गले में सूजन आ जाती है। सांस लेने से दिक्कत होने से पशु दो से तीन दिन में दम तोड़ देता है। इस बीमारी के बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण ही है।
बांदा। पशुओं की जानलेवा बीमारी गलाघोटू की रोकथाम के लिए चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान दम तोड़ रहा है। जुलाई बीत जाने के बाद भी शत प्रतिशत पशुओं का टीकाकरण नहीं हो सका। विभाग इसके लिए वैक्सीन की कमी बता रहा है। बरसात के दिनों में पशुओं की संक्रामक बीमारी ‘गलाघोटू’ के बचाव के लिए मई, जून में टीकाकरण हो जाना चाहिए, लेकिन इस वर्ष जुलाई माह में टीकाकरण अभियान शुरू किया गया।
चित्रकूटधाम मंडल के चारों जनपदों में 14,84,000 पशुओं को टीकाकरण किया जाना है, लेकिन एक माह बीत जाने के बावजूद 6,40,420 (52 फीसदी) पशुओं का ही टीकाकरण हो सका है। 5,90,830 (48 फीसदी) पशुओं का टीकाकरण नहीं हो सका।
उप निदेशक पशुपालन मनोज कुमार का कहना है कि मंडल को 12,58,300 वैक्सीन की जरूरत है। इसके एवज में अभी तक केवल 60 फीसदी तक ही खुराक मिल पाई है।
मंडल में ऐसे हुआ टीकाकरण
बांदा में 5,43,000 में 2,03,040, महोबा में 2,21,000 में 1,57,780, चित्रकूट में 4,16,000 में 29,000, हमीरपुर में 34,000 में 1,03,300 पशुओं का टीकाकरण हुआ।
इस वजह से पशु होते बीमार
बारिश के मौसम में यह बीमारी ज्यादा पांव पसारती है। यह जानलेवा संक्रामक रोग खराब पानी व संक्रमित भोजन से होता है। पशु को ठंड के साथ तेज बुखार आता है और वह खाना पीना छोड़ देता है। आंखों और गले में सूजन आ जाती है। सांस लेने से दिक्कत होने से पशु दो से तीन दिन में दम तोड़ देता है। इस बीमारी के बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण ही है।