ख़बर सुनें
बांदा। सिंचाई विभाग की टेक्निकल कमेटी ने 115 वर्ष पुराने बरियारपुर बांध की मरम्मत करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कमेटी ने केंद्रीय जल आयोग को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि इसकी मरम्मत कराना खतरे से खाली नहीं है। इसकी क्षमता घटती जा रही है। अब डाउन स्ट्रीम पर नया बांध बनाने की जरूरत है। इसके लिए प्रस्ताव भेजा है।
बरियारपुर बांध की क्षमता 12.50 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) है। इससे मुख्य केन नहर निकली है। इसी बांध की मदद से जिले में लगभग 1100 किलोमीटर लंबी नहरों से सिंचाई की जाती है। केन नदी पर लगभग 650 मीटर लंबी दीवार (क्रस्टवाल) खड़ी है। इसके अंदर सुरंगनुमा आरपार रास्ता है। दीवार के ऊपर 8.23 फीट लंबे, 8 फीट चौड़े और 8 फीट ऊंचे भारी भरकम लोहे के फाटक लगे हैं। इन्हीं को खड़ा करके पानी रोका जाता है। बारिश में जब बांध उफान मारता है, तब इसकी दीवार से लाखों क्यूसेक पानी रात-दिन भारी प्रेशर के साथ बहता है।
केंद्रीय जल आयोग की टीम करेगी सर्वे
सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता श्याम जी चौबे का कहना है कि बरियारपुर बांध काफी जर्जर हो गया है। विभाग मरम्मत के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च करता है। केन-बेतवा परियोजना के तहत इस बांध को भी नया बनाने के लिए रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग को भेजी गई है। अब केंद्रीय जल आयोग की टीम कभी भी बांध का सर्वे करने आ सकती है।
नया बांध बनने से क्षमता बढ़ेगी
नया बांध बनने से पानी के भंडार की क्षमता बढ़ेगी। फाटक भी ज्यादा लंबे चौड़े बनेंगे। बारिश का पानी बर्बाद नहीं होगा। फाटक खोलने बंद करने में दिक्कत नहीं आएगी। मौजूदा बांधों में फाटक खड़े करने या गिराने के लिए कर्मचारी व मजदूरों को काम कम करना पड़ेगा।
इन बिंदुओं पर भेजी गई रिपोर्ट
– तलहटी में भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो चुकी है।
– इससे पानी भंडार की क्षमता में काफी कमी आई है।
– बांध में क्षमता के अनुसार पानी भरने पर क्रस्टवाल टूट सकती है।
– बांध की दीवारें काफी कमजोर हो गई हैं।
– क्षमता कम होने से पानी की बर्बादी अधिक होती है।
– हर साल मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये खर्च होते हैं।
– बांध के गेट बंद करने व खोलने में मजदूरों को खतरा रहता है।
बांदा। सिंचाई विभाग की टेक्निकल कमेटी ने 115 वर्ष पुराने बरियारपुर बांध की मरम्मत करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कमेटी ने केंद्रीय जल आयोग को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि इसकी मरम्मत कराना खतरे से खाली नहीं है। इसकी क्षमता घटती जा रही है। अब डाउन स्ट्रीम पर नया बांध बनाने की जरूरत है। इसके लिए प्रस्ताव भेजा है।
बरियारपुर बांध की क्षमता 12.50 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) है। इससे मुख्य केन नहर निकली है। इसी बांध की मदद से जिले में लगभग 1100 किलोमीटर लंबी नहरों से सिंचाई की जाती है। केन नदी पर लगभग 650 मीटर लंबी दीवार (क्रस्टवाल) खड़ी है। इसके अंदर सुरंगनुमा आरपार रास्ता है। दीवार के ऊपर 8.23 फीट लंबे, 8 फीट चौड़े और 8 फीट ऊंचे भारी भरकम लोहे के फाटक लगे हैं। इन्हीं को खड़ा करके पानी रोका जाता है। बारिश में जब बांध उफान मारता है, तब इसकी दीवार से लाखों क्यूसेक पानी रात-दिन भारी प्रेशर के साथ बहता है।
केंद्रीय जल आयोग की टीम करेगी सर्वे
सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता श्याम जी चौबे का कहना है कि बरियारपुर बांध काफी जर्जर हो गया है। विभाग मरम्मत के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च करता है। केन-बेतवा परियोजना के तहत इस बांध को भी नया बनाने के लिए रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग को भेजी गई है। अब केंद्रीय जल आयोग की टीम कभी भी बांध का सर्वे करने आ सकती है।
नया बांध बनने से क्षमता बढ़ेगी
नया बांध बनने से पानी के भंडार की क्षमता बढ़ेगी। फाटक भी ज्यादा लंबे चौड़े बनेंगे। बारिश का पानी बर्बाद नहीं होगा। फाटक खोलने बंद करने में दिक्कत नहीं आएगी। मौजूदा बांधों में फाटक खड़े करने या गिराने के लिए कर्मचारी व मजदूरों को काम कम करना पड़ेगा।
इन बिंदुओं पर भेजी गई रिपोर्ट
– तलहटी में भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो चुकी है।
– इससे पानी भंडार की क्षमता में काफी कमी आई है।
– बांध में क्षमता के अनुसार पानी भरने पर क्रस्टवाल टूट सकती है।
– बांध की दीवारें काफी कमजोर हो गई हैं।
– क्षमता कम होने से पानी की बर्बादी अधिक होती है।
– हर साल मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये खर्च होते हैं।
– बांध के गेट बंद करने व खोलने में मजदूरों को खतरा रहता है।