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ताइवान के मसले पर चीन और अमेरिका के बीच ठनी हुई हे। अमेरिका के निचले सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान यात्रा के बाद दोनों देशों रिश्ते और खराब हो गए हैं। चीन ताइवान को हर तरीके से धमकाने की कोशिशों में जुटा हुआ है। ताइवान के एयर डिफेंस जोन में चीन के विमान दिखने लगे हैं। दूसरी ओर, ताइवान भी चीन की सुनने को तैयार नहीं है। वह अमेरिका के साथ अपनी दोस्ती चीन के दबाव में कतई नहीं तोड़ना चाहता है।
बहरहाल, चीन, ताइवान और अमेरिका के बीच शुरू हुआ यह तनाव दुनिया के टेक मार्केट के लिए कतई सही नहीं है। इसका कारण ताइवान है। जिसका टेक मार्केट में अपनी विशेषज्ञता के कारण दबदबा है। तकनीक और सेमीकंडक्टर बाजार में ताइवान का बड़ा योगदान है। दुनियाभर के 90 प्रतिशत आधुनिक सेमीकंडक्टर ताइवान ही बनाता है। बीते साल ही ताइवान ने 118 अरब डॉलर का सिर्फ सेमीकंडक्टर निर्यात किया है।
बड़ी टेक कंपनियों के लिए चिप बनाता है ताइवान
ताइवान की कंपनी TSMC (Taiwan Semiconductor Manufacturing Company) दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों के लिए चिप बनाती है। इनमें एपल, एएमडी, Nvidia और ARM जैसी कंपनियां शामिल हैं।
जंग छिड़ी तो टेक मार्केट होगा प्रभावित
इन चिप्स का इस्तेमाल स्मार्टफोन, कार, लैपटॉप और दूसरी इलेक्ट्रॉनिक चीजों में होता है। इन चिप्स के बिना इन चीजों का उत्पादन संभव नहीं है। ऐसे में चीन और ताइवान के बीच का तनाव वहां के सेमीकंडक्टर बाजार के लिए कतई बढ़िया नहीं है। चीन और ताइवान उलझते हैं तो इसका सीधा असर अमेरिका और यूरोप के देशों पर ही पड़ेगा।चीन और ताइवान के बीच जंग छिड़ती है तो इसका असर मोबाइल निर्माता कंपनियों के साथा कार निर्माता और होम इंटरटेनमेंट कंपनियों पर भी पड़ेगा। इसके कारण दुनिया भर में सप्लाई शॉर्टेज की समस्या पैदा होगी।