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पिछले एक महीने में उनके साथ जो कुछ हुआ, तेजस्विन ने वह सब कुछ भूलाकर बस एक बात याद रखी कि उन्हें भारत के लिए पदक जीतना है और बुधवार को कांस्य पदक जीतकर अपना सपना पूरा किया। पुरुषों के हाई जंप के फाइनल में 2.22 मीटर के जंप के साथ तेजस्विन तीसरे स्थान पर रहे।
10 दिन पहले खुद तेजस्विन ने उम्मीद नहीं की थी कि वह बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पहुंचेंगे और भारतीयों को गर्व महसूस करने का मौका देंगे। वह बर्मिंघम रवाना होने के लिए भारतीय दल में शामिल होने वाले आखिरी नाम थे। तेजस्विन सबसे आखिर में बर्मिंघम पहुंचे, लेकिन उन्होंने ट्रैक एंड फील्ड में भारत के लिए पहला पदक जीता है।
दरअसल, पिछले एक महीने से उनकी भागीदारी को लेकर संशय बना हुआ था। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने शुरुआत में यूएसए में प्रैक्टिस कर रहे तेजस्विन शंकर को भारतीय टीम से बाहर कर दिया था, क्योंकि उन्होंने भारत की राष्ट्रीय अंतरराज्यीय मीट में भाग नहीं लिया था। हालांकि, यूएसए में तेजस्विन ने एक प्रतियोगिता में राष्ट्रमंडल खेलों के एएफआई के मानकों को पार कर लिया था। इसके बाद उन्होंने एएफआई के फैसले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के कहने पर तेजस्विन को राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने की मंजूरी मिल गई थी।
आखिर में तेजस्विन शंकर को राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए भारतीय स्क्वॉड में घायल रिले धावक अरोकिया राजीव के रिप्लेसमेंट के तौर पर शामिल किया गया था। इसके बाद भी राह आसान नहीं रही। कॉमनवेल्थ गेम्स के ऑर्गेनाइजर्स ने तेजस्विन के देर से हिस्सा लेने की अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अनुरोध पर राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) ने तेजस्विन शंकर को आगामी बर्मिंघम खेलों में भाग लेने की अनुमति दी।