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कोरोना के मामलों में उछाल आने के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों से तत्काल जांच सहित निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए। लेकिन सप्ताह भर बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। राज्यों ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर अब तक संज्ञान नहीं लिया जिसके चलते दैनिक कोविड-19 जांच का ग्राफ एक जैसा दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यों की यह सुस्ती संक्रमण की स्थिति को बिगाड़ सकती है।
आंकड़ों के अनुसार बीते 22 मई से देश में रोजाना संक्रमण दर में इजाफा देखने को मिल रहा है। मौजूदा समय में दैनिक संक्रमण दर 0.80 से बढ़कर 2.71 फीसदी तक पहुंच गई है। जबकि दैनिक जांच औसतन तीन से साढ़े तीन लाख सैंपल की हो रही है। बीते मार्च माह के बाद से जांच में कोई बड़ा बदलाव दर्ज नहीं हुआ है। गणितीय मॉडल्स का हवाला देते हुए प्रो. रिजो एम जॉन ने कहा, देश में नौ फीसदी की रफ्तार से सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
केरल, गोवा, महाराष्ट्र, दिल्ली, चंडीगढ़ में साप्ताहिक संक्रमण दर करीब दो फीसदी से ऊपर निकल गई है। वहीं महाराष्ट्र, गुजरात, असम और हिमाचल प्रदेश में 10 फीसदी से अधिक तेजी से सक्रिय मरीज बढ़ रहे हैं। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा, यह हमारा दुर्भाग्य है कि दो साल महामारी से जूझने के बाद भी सरकारों का ध्यान आज भी राजनीति पर अधिक है जिसका असर पूरा देश देख रहा है। जबकि सरकारों को अपना पूरा ध्यान महामारी की रोकथाम पर लगाना चाहिए।
कमजोर हो रही इम्युनिटी एहतियाती खुराक जरूरी
दिल्ली एम्स के प्रो्. संजय राय ने कहा, टीकाकरण या संक्रमण से विकसित इम्युनिटी अब कमजोर हो रही है। जिन लोगों का टीकाकरण पूरा हुए नौ माह पूरे हो चुके हैं उन्हें तत्काल एहतियाती खुराक लेने में देरी नहीं करनी चाहिए। इनका मानना है कि संक्रमण में उछाल आने के पीछे इम्युनिटी कमजोर होना एक बड़ा कारण है। हालांकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महामारी विशेषज्ञ डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि इम्युनिटी कमजोर होने के साथ ही लोगों का एहतियाती खुराक लेना जरूरी है। हालांकि मौजूदा समय में संक्रमण बढ़ने के बाद भी अधिकांश मरीज घर पर ही ठीक हो रहे हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
- 6 से 13 अप्रैल के बीच देश में रोजाना छह लाख से भी ज्यादा सैंपल की जांच हुई और उस दौरान 0.50 फीसदी संक्रमण दर पाई गई।
- एक से 11 जून के बीच देश में रोजाना तीन से साढ़े तीन लाख सैंपल की जांच हुई और संक्रमण दर 2.71 फीसदी तक पाई गई।
- 30 दिन में एक बार भी जांच का आंकड़ा पांच लाख तक नहीं पहुंचा।