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श्रीलंका में गहराते जा रहे आर्थिक संकट के बीच देश के लोगों के गैर-कानूनी रूप से देश छोड़ने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हाल में इनमें से ज्यादातर लोग समुद्री रास्ते से दूसरे देशों के लिए निकले हैं। ऐसे में मानव तस्करी का धंधा फूल-फल रहा है। ऐसे कई गिरोह बन गए हैं, जो अवैध रूप से विस्थापितों को दूसरे देश तक पहुंचाने के काम में जुटे हुए हैं।
पिछले महीने श्रीलंका की नौसेना ने ऐसी आठ नौकाओं को पकड़ा था, जिन पर 351 लोग सवार थे। श्रीलंकाई पुलिस का कहना है कि आर्थिक हताशा के बीच देश छोड़ रहे ज्यादातर लोग आस्ट्रेलिया की तरफ ले जाए गए हैं। जो नौकाएं नौसेना ने जब्त कीं, वे बट्टिकालोआ, त्रिंकोमाली, और पश्चिमी प्रांत के तटों से लोगों को बाहर ले जाने के काम में लगी हुई थीं।
आस्ट्रेलिया ने दी तकनीकी मदद
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पुलिस ने यह नहीं बताया है कि किस कानून के तहत नौकाओं को जब्त किया गया। लेकिन खबर है कि आस्ट्रेलिया ने श्रीलंका की नौसेना से देश से लोगों को बाहर ले जा रही नौकाओं को रोकने के लिए कहा था। बताया जाता है कि इस काम के लिए आस्ट्रेलिया ने श्रीलंकाई नौसेना को तकनीकी सहायता भी दी है। पिछले छह जून को कोलंबो स्थित आस्ट्रेलिया दूतावास ने एक ट्विट में कहा था- ‘यह बात याद दिलाई जाती है कि आस्ट्रेलिया में भले नई सरकार बनी हो, लेकिन उसकी सीमा सुरक्षा नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया है।’
आस्ट्रेलिया की पिछली सरकार को आव्रजन मामले में बेहद सख्त समझा जाता था। मई में वहां लेबर पार्टी की सरकार बनी, जिसे उदार माना जाता है। इसके बावजूद आस्ट्रेलियाई दूतावास ने ये चेतावनी दी, तो उसका मतलब यही समझा गया कि आस्ट्रेलिया श्रीलंकाई शरणार्थियों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
विश्लेषकों के मुताबिक देश में चीजों और काम के अवसर के अभाव के कारण लोग देश से बाहर जाने को बेसब्र हैं। लेकिन श्रीलंकाई पुलिस का दावा है कि कुछ गिरोह मानव तस्करी के घोटाले में शामिल हैं। एक पुलिस अधिकारी ने वेबसाइट इकोनॉमीनेक्स्ट.कॉम से कहा- ‘ज्यादातर लोगों ने बाहर जाने के लिए लाखों रुपये का भुगतान किया है। उनमें से किसी को नहीं मालूम रहता कि उन्हें सफलता मिल ही जाएगी। अगर वे श्रीलंका के जल क्षेत्र से बाहर निकल भी जाएं, तो दूसरे देश में तट रक्षक उनके लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।’
भारत में मिली पनाह
ऐसी आधिकारिक खबरें हैं कि इस महीने भी अवैध रूप से बाहर जाने का सिलसिला जारी है। इस महीने इस कोशिश में कम से कम 200 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। इस सिलसिले की शुरुआत कई श्रीलंकाइयों के भारत जाने से हुई थी। ये लोग तमिलनाडु पहुंच गए थे। लेकिन भारत ने उन्हें आस्ट्रेलिया की तरह जबरन वापस नहीं भेजा, बल्कि उन लोगों को तमिलनाडु में पनाह दी गई है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक 2009 तक चले तीन दशक के गृह युद्ध के दौरान भी श्रीलंका से लाखों लोग भाग कर बाहर गए थे। उनमें ज्यादातर तमिल थे। उनमें बड़ी संख्या में लोग भारत, यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा में स्थायी रूप से बस गए।