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Jammu And Kashmir : Celebrations From The Liberation Of Article 370 – अनुच्छेद-370 हटने के तीन साल: बदली फिजां में डल झील देर रात तक आबाद, अलगाववादियों के गढ़ में भी तिरंगे

News Desk by News Desk
August 5, 2022
in Market
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Jammu And Kashmir : Celebrations From The Liberation Of Article 370 – अनुच्छेद-370 हटने के तीन साल: बदली फिजां में डल झील देर रात तक आबाद, अलगाववादियों के गढ़ में भी तिरंगे


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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की आजादी को तीन साल हो गए हैं। इन तीन साल में नए जम्मू-कश्मीर की फिजां में जबर्दस्त बदलाव आया है। दहशत का माहौल लगभग काफूर हो गया है। डल झील के इलाके में देर रात तक चहल पहल है। झील में तैरते शिकारों पर पर्यटकों का शोर सन्नाटे को दूर तक चीरता हुआ बदले कश्मीर की तस्वीर सामने रखता है। जम्मू-कश्मीर के माहौल में न केवल बदलाव आया है, बल्कि आर्थिक विकास और पर्यटन को पंख लगे हैं। विकास का पहिया भी तेजी से घूम रहा है।

अलगाववादियों की जुबान बंद है। अब बंद की कॉल नहीं आती है। पत्थरबाजी और पत्थरबाज दोनों ही गायब हैं। हर शुक्रवार को फिजां में बारूद की गंध घुलने का सिलसिला थम गया है। रोजाना बाजार गुलजार रहते हैं। सबसे बड़ा बदलाव लाल चौक पर लहराता तिरंगा बयां करता है, जहां कभी तिरंगा फहराना सपना हुआ करता था। अब घंटा घर तिरंगे की रोशनी में नहाया रहता है। यहां लोग तिरंगा लेकर बड़े फख्र के साथ चलते हैं।

कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर लाल चौक से भारत माता की जय के नारे लगाते कश्मीर समेत देशभर से पहुंचे युवाओं ने मोटरसाइकिल पर तिरंगा रैली निकाली। पत्थरबाजों के लिए कुख्यात डाउन टाउन में भी तिरंगे फहराए जाने लगे। शिवरात्रि पर कश्मीरी पंडितों की झांकियां भी डाउनटाउन से निकलीं। इस्कॉन के अनुयायियों ने भी झांकी निकाल रास्तेभर प्रसाद वितरण किया।

यासीन मलिक को उम्र कैद, पर कश्मीर में हरकत नहीं
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के सरगना और नब्बे के दशक में आतंकवाद का चेहरा रहे यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई गई, लेकिन कश्मीर की जनता पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। अन्य दिनों की तरह सब कुछ सामान्य चलता रहा। घाटी में सड़कों पर किसी प्रकार का विरोध-प्रदर्शन नहीं हुआ, जबकि एक समय में हुर्रियत के साथ मिलकर जेकेएलएफ की ओर से बंद की कॉल दी जाती थी। 370 हटने के बाद ही कश्मीरी पंडित सचिन टिक्कू की हत्या के मामले में जेकेएलएफ के आतंकी बिट्टा कराटे के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। यह भी संभव हुआ कि पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बहन रुबिया सईद अपने अपहरण के मामले में टाडा कोर्ट में गवाही के लिए हाजिर हुईं। रुबिया ने अपहरण में शामिल यासीन मलिक को पहचाना।

एक करोड़ से ज्यादा सैलानी पहुंचे
घाटी के माहौल में आए बदलाव से यहां पर्यटन को पंख भी लगे हैं। रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आए हैं। मां वैष्णो देवी के भक्तों के साथ ही कश्मीर में भी सैलानियों का जमावड़ा लगा रहा। अप्रैल से लेकर जुलाई तक चार महीने लगभग सभी पर्यटन स्थलों पर होटल, हाउसबोट, शिकारे सभी फुल रहे। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने तीन अगस्त को संसद में एक प्रश्न के जवाब में भी कहा कि इस साल तीन जुलाई तक 1.06 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर पहुंचे। सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम स्टे की सुविधा शुरू की है। एलओसी पर भी होम स्टे बनाए जा रहे हैं, जहां पर्यटक सीमावर्ती इलाके का सौंदर्य निहारने पहुंच रहे हैं।

कश्मीर में जी-20 सम्मेलन देगा दुनिया को संदेश
जम्मू-कश्मीर में अगले साल जी-20 सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है। कहा जा रहा है कि चीन और पाकिस्तान से सटे इस राज्य में जी-20 सम्मेलन आयोजित कर भारत विश्व समुदाय को संदेश देने की तैयारी में है। कश्मीर मामले के विशेषज्ञों का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद ही यह संभव हो सका है और इससे पूरे विश्व में इस राज्य का कद बढ़ेगा।

देश विरोधियों पर शिकंजा, भ्रष्टाचार पर लगाम
अनुच्छेद 370 हटने के बाद देशविरोधियों पर जबर्दस्त शिकंजा कसा है। भ्रष्टाचार पर भी लगाम है। हुर्रियत (एम) प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक के अलावा लगभग सभी प्रमुख अलगाववादी सलाखों के पीछे हैं। जो बचे हैं उन्होंने या तो अपनी गतिविधियां बंद रखी हैं या फिर मौन धारण कर रखा है। प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से जुड़े स्कूलों को भी बंद करने का आदेश दिया गया है। इतना ही नहीं सरकार ने आतंकवाद और देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त सरकारी कर्मचारियों पर भी शिकंजा कसा है। इनमें हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सलाहुद्दीन के दो बेटों समेत 50 से अधिक सरकारी कर्मचारी बर्खास्त किए गए हैं।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद बीते तीन साल में जम्मू-कश्मीर में विकास का नया दौर शुरू हुआ है। जनता को लाभ मिल रहा है। प्रदेश में खुशहाली आई है और आर्थिक विकास बढ़ा है। पत्थरबाजी व बंद की कॉल इतिहास बन गया है। हालांकि, यह पड़ोसी देश पाकिस्तान को रास नहीं आ रहा है। इसलिए वह यहां गड़बड़ी करने की कोशिशों में लगा हुआ है, लेकिन जनता भी सब समझ चुकी है। अब वह उसकी बातों में नहीं आने वाली है। शांति और विकास प्रक्रिया को रुकने नहीं दिया जाएगा।
– मनोज सिन्हा, उप राज्यपाल

अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से कश्मीरी पंडितों में घर वापसी की आस तो जगी है, लेकिन हालिया टारगेट किलिंग की घटनाओं से वे फिर शंकाओं से घिर गए हैं। अब उन्हें सम्मानजनक घर वापसी की राह कठिन लग रही है।

पीएम पैकेज के तहत नियुक्त कर्मचारी राहुल भट की 12 मई को कार्यालय में घुसकर हत्या किए जाने की घटना से इन्हें डर सताने लगा है। ज्यादातर कर्मचारी जम्मू चले आए हैं। सुरक्षित स्थान पर तैनाती की मांग को लेकर वे आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब वे घाटी नहीं जाएंगे क्योंकि वहां सुरक्षित माहौल नहीं है। कश्मीरी पंडित कर्मचारी की हत्या के बाद गृह मंत्री ने दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक कर पंडितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की हिदायत दी।

इसी कड़ी में पंडितों को जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालय पर तैनाती दी गई। सूची जारी होने के बाद भी पंडित काम पर लौटने को तैयार नहीं हुए। यह जरूर है कि सरकार ने पंडितों की जमीन वापस दिलाने की प्रक्रिया शुरू की है। ग्रीवांस पोर्टल पर शिकायत करने वाले कई पंडितों को उनकी जमीन दिलवाई गई है। आतंकवाद के दौर में भी कश्मीर घाटी न छोड़ने वाले कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के चेयरमैन संजय टिक्कू का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने का कश्मीरी पंडितों को बहुत फायदा नहीं मिल पाया है। सभी जुमलेबाजी करने में व्यस्त हैं।

घाटी के हालात ठीक नहीं हैं। जब तक स्थायी व्यवस्था नहीं होगा तब तक पंडितों की कश्मीर वापसी संभव नहीं है। पीएम पैकेज के कर्मचारियों को बसाए जाने से बहुत लाभ नहीं होने वाला है। अभी पैकेज के 1039 कर्मचारियों को अस्थायी आवास सुलभ हो पाया है। शेष चार हजार तो किराये के मकान में रह रहे हैं। उनकी सुरक्षा का क्या है। सरकार की ओर से शुरू पोर्टल का लाभ पंडितों को जरूर मिला है। उन्हें उनकी जमीन वापस मिली है जिस पर कब्जे कर लिए गए थे।

नागरिकता तो मिली, पर डोमिसाइल अब भी दे रहा दर्द
370 व 35ए हटने के बाद नागरिकता का हक पाने वाले पश्चिम पाकिस्तान रिफ्यूजी, वाल्मीकि समाज और गोरखा समाज का कहना है कि उनके माथे पर बाहरी होने का लगा कलंक तो मिटा है, लेकिन अब भी उन्हें आम नागरिकों की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। पश्चिम पाकिस्तान रिफ्यूजी नेता लब्बा राम गांधी, गोरखा समाज की अध्यक्ष करुणा छेत्री का कहना है कि नागरिकता के लिए डोमिसाइल तो मिला, पर उसमें भी कैटेगरी की बाधा है। इस वजह से उन्हें न तो जमीन खरीदने का हक मिल पाया है और न ही आवंटित जमीन उनके नाम पर हो पाई है। 

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद औद्योगिक क्षेत्र में निवेश के लिए बंदिशें हटने के साथ नए द्वार खुले हैं। अब तक देश विदेश से 38 हजार करोड़ से अधिक निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं। इनमें पांच लाख लोगों को रोजगार देने की संभावनाएं देखी जा रही हैं। कई नामी विदेशी कंपनियों से जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों के लिए करार हुआ है। खासतौर पर कृषि, फार्मा जैसे क्षेत्रों में निवेशक अधिक आकर्षित हुए हैं। इस साल के अंत तक 70 हजार करोड़ रुपये के निवेश लाने का लक्ष्य रखा गया है। 

जम्मू-कश्मीर में अब तक करीब 1900 निवेश इकाइयों के लिए दस हजार कनाल सरकारी भूमि को आवंटित किया जा चुका है। इसमें जिला कठुआ में सबसे अधिक भूमि आवंटित की गई है। जिला सांबा में भी ऐसी भूमि चिह्नित की गई है। नए जिलों में उधमपुर, किश्तवाड़, डोडा, राजोरी आदि में भी भूमि को आवंटित करने की प्रक्रिया जारी है। निवेशकों के लिए सिंगल क्लीयरेंस विंडो पोर्टल बनाया गया है।

अब तक 150 तक औद्योगिक सेवाओं को सिंगल विंडो प्रणाली पर ऑनलाइन किया जा चुका है। सरल प्रक्रिया से भूमि उपलब्ध करवाई जा रही है। हाल ही में कश्मीर में खाड़ी देशों के उद्यमियों ने दौरा कर औद्योगिक निवेश के लिए संभावनाएं देखी हैं। दुबई पोर्ट की प्रमुख कंपनी डीपी वर्ल्ड ने जम्मू-कश्मीर में 250 एकड़ भूमि पर इनलैंड पोर्ट का निर्माण करने की हामी भरी है।

विस्तार

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की आजादी को तीन साल हो गए हैं। इन तीन साल में नए जम्मू-कश्मीर की फिजां में जबर्दस्त बदलाव आया है। दहशत का माहौल लगभग काफूर हो गया है। डल झील के इलाके में देर रात तक चहल पहल है। झील में तैरते शिकारों पर पर्यटकों का शोर सन्नाटे को दूर तक चीरता हुआ बदले कश्मीर की तस्वीर सामने रखता है। जम्मू-कश्मीर के माहौल में न केवल बदलाव आया है, बल्कि आर्थिक विकास और पर्यटन को पंख लगे हैं। विकास का पहिया भी तेजी से घूम रहा है।

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यासीन मलिक को उम्र कैद, पर कश्मीर में हरकत नहीं

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