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उरई। एससी/एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश शिवकुमार ने आटा थाना क्षेत्र में 25 साल पहले हुई हत्या के मामले में चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने दोषियों पर 40-40 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। इस मामले में एक आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
सहायक शासकीय अधिवक्ता ह्देश कुमार पांडेय ने बताया कि 10 नवंबर 1997 को आटा थाना क्षेत्र के दशहरी निवासी बालादीन ने थाना आटा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में था कि नो नवंबर 1997 की रात करीब नौ बजे पुत्र शिवराम बहनोई रामसहोदर के साथ ट्रैक्टर से डीजल लेने जोल्हूपुर मोड़ जा रहा था। षड्यंत्र के तहत दशहरी गांव निवासी रामबाबू भी ट्रैक्टर पर बैठ गया और शिवराम की बंदूक अपने हाथ में ले ली। जैसे ही ट्रैक्टर लुहरगांव की पुलिया के पास पहुंचा, तभी बाबूराम, घनश्याम और तीन चार अन्य लोगों ने ट्रैक्टर को रोक लिया। इसके बाद हमलावरों ने शिवराम की हत्या कर दी और बंदूक के साथ 14 कारतूस और रामसहोदर की जेब से चार हजार रुपये लूटकर भाग गए थे। इस मामले में शिवराम के पिता बालादीन ने रामबाबू, बालकराम और घनश्याम के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया था। विवेचना के दौरान इटौरा निवासी भागवत सिंह और दशहरी निवासी ज्ञानेंद्र सिंह के नाम भी सामने आए। इस मामले की सुनवाई एससी/एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश शिवकुमार ने की। उन्होंने रामबाबू, भागवत, बालकराम और घनश्याम को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 40-40 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। ज्ञानेंद्र सिंह की मामले में संलिप्तता न पाए जाने पर बरी कर दिया गया।
उरई। एससी/एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश शिवकुमार ने आटा थाना क्षेत्र में 25 साल पहले हुई हत्या के मामले में चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने दोषियों पर 40-40 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। इस मामले में एक आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
सहायक शासकीय अधिवक्ता ह्देश कुमार पांडेय ने बताया कि 10 नवंबर 1997 को आटा थाना क्षेत्र के दशहरी निवासी बालादीन ने थाना आटा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में था कि नो नवंबर 1997 की रात करीब नौ बजे पुत्र शिवराम बहनोई रामसहोदर के साथ ट्रैक्टर से डीजल लेने जोल्हूपुर मोड़ जा रहा था। षड्यंत्र के तहत दशहरी गांव निवासी रामबाबू भी ट्रैक्टर पर बैठ गया और शिवराम की बंदूक अपने हाथ में ले ली। जैसे ही ट्रैक्टर लुहरगांव की पुलिया के पास पहुंचा, तभी बाबूराम, घनश्याम और तीन चार अन्य लोगों ने ट्रैक्टर को रोक लिया। इसके बाद हमलावरों ने शिवराम की हत्या कर दी और बंदूक के साथ 14 कारतूस और रामसहोदर की जेब से चार हजार रुपये लूटकर भाग गए थे। इस मामले में शिवराम के पिता बालादीन ने रामबाबू, बालकराम और घनश्याम के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया था। विवेचना के दौरान इटौरा निवासी भागवत सिंह और दशहरी निवासी ज्ञानेंद्र सिंह के नाम भी सामने आए। इस मामले की सुनवाई एससी/एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश शिवकुमार ने की। उन्होंने रामबाबू, भागवत, बालकराम और घनश्याम को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 40-40 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। ज्ञानेंद्र सिंह की मामले में संलिप्तता न पाए जाने पर बरी कर दिया गया।