महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में क्रॉस वोटिंग के ठीक बाद 30 से ज्यादा विधायकों के साथ शिवसेना नेता और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने बागी तेवर दिखाते हुए सूरत में डेरा डाल दिया। इससे सियासी उथल-पुथल मच गई और प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि मंगलवार देररात सूरत में ठहरे विधायकों को असम के गुवाहाटी शिफ्ट किया गया। इसके लिए सभी विधायकों को देररात ही बस से हवाई अड्डे पर पहुंचाया गया। शिंदे ने सीएम उद्धव ठाकरे के सामने एनसीपी-कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन बनाने की शर्त रखी है।
अब सूरत से निकलकर असम में डालेंगे डेरा
सूरत के ली मेरिडियन होटल में ठहरे शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे, पार्टी के 34 विधायकों और 7 निर्दलीय विधायक असम के गुवाहाटी रवाना होने के लिए सूरत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे।
कैसे शुरू हुआ सियासी संकट
सियासी घटनाक्रम विधान परिषद की 10 सीटों के चुनाव के तुरंत बाद ही शुरू हुआ। पर शिवसेना को जब तक इसकी भनक मिलती, शिंदे गुजरात पहुंच चुके थे। शिंदे का मोबाइल फोन सोमवार दोपहर बाद से ही नॉट रीचेबल हो गया। देर रात वह समर्थक विधायकों के साथ सूरत के पांच सितारा होटल पहुंचे। वहां पहुंचते ही विधायकों का भी शिवसेना से संपर्क टूट गया।
होटल में शिंदे के साथ शिवसेना के 15, एनसीपी का एक और निर्दलीय 14 विधायक हैं। तीन मंत्री भी हैं। बागी विधायक गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के संपर्क में हैं। बताया जा रहा है, सभी विधायक बुधवार सुबह तक गुवाहाटी भेजे जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है, गृह मंत्री अमित शाह पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। शाह ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक भी की।
कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना में अशांति है : सीटी रवि
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और महाराष्ट्र प्रभारी सीटी रवि ने कर्नाटक के बेंगलुरु में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना में अशांति है। हमने धोखा देने का काम नहीं किया, धोखा देने का काम महाविकास अघाड़ी ने किया है। 2019 से लेकर आज तक उन्होंने जनता के हित में क्या काम किया है? महाराष्ट्र के ताजा राजनीतिक हालात पर उन्होंने कहा कि मंत्री आदित्य ठाकरे और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे (सूरत के विधायकों के बारे में) से पूछें… एकनाथ शिंदे एक सार्वजनिक नेता हैं, मुझे नहीं पता कि उनके दिमाग में क्या है।
थोराट के घर पर हुई कांग्रेस विधायकों की बैठक
कांग्रेस के विधायकों ने विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट के मुंबई स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी एचके पाटिल की अध्यक्षता में हुई बैठक में कांग्रेस के 44 में से 42 विधायक मौजूद थे, जिनमें पार्टी नेता नाना पटोले, अशोक चव्हाण और अन्य शामिल थे।
बालासाहेब ने हिंदुत्व सिखाया
बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है। सत्ता के लिए हमने कभी धोखा नहीं दिया और न कभी धोखा देंगे। -एकनाथ शिंदे, कैबिनेट मंत्री, महाराष्ट्र
शिंदे को पार्टी दल के नेता पद से हटाया
- सीएम उद्धव ने सियासी उठा-पठक के बीच पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई। पर इसमें 55 में से महज 18 विधायक ही मौजूद रहे।
- बैठक में अजय चौधरी को शिंदे की जगह विधानसभा में पार्टी का नेता चुना गया।
अब दो मुख्य संभावनाएं
- विधायकों को एयरलिफ्ट करके दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा व अमित शाह के पास ले जाया जा सकता है। सत्ता के समीकरण में भाजपा की एंट्री संभव है।
- विधायकों को अहमदाबाद के रिसॉर्ट में ले जाया जा सकता है और उद्धव से बात के रास्ते खुले रखे जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने बातचीत के लिए मुंबई बुलाया, शिंदे बोले- पहले भाजपा पर रुख साफ करें
उद्धव ने शिंदे से बातचीत के लिए मिलिंद नार्वेकर और ठाणे के विधायक रवींद्र फाटक को भेजा था। नार्वेकर-शिंदे की मुलाकात एक घंटे चली। नार्वेकर ने फोन पर उद्धव से भी कराई। उद्धव ने मुंबई आकर वार्ता का प्रस्ताव रखा पर शिंदे भाजपा से गठबंधन पर अड़े रहे। साफ कहा, पहले उद्धव रुख स्पष्ट करें, अगर गठबंधन पर राजी हैं तो पार्टी टूटेगी नहीं।
पहली बार 1991 में छगन भुजबल ने आठ विधायकों के साथ छोड़ी थी पार्टी
शिवसेना के इतिहास में तीन बार बगावत हुई है, लेकिन इस बार की फूट सबसे बड़ी है। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के जीवित रहते छगन भुजबल ने पार्टी से नाता तोड़ा था। उसके बाद मौजूदा केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे को जोर का झटका दिया था। अब एकनाथ शिंदे ने बागी तेवर अपनाया है। इससे पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का नेतृत्व कसौटी पर है।
60 के दशक में शिवसेना अस्तित्व में आई। पहली बार 1991 में छगन भुजबल ने 8 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी थी। उसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उस समय शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे जीवित थे और उनके आदेश पर शिवसैनिकों ने जमकर तांडव मचाया था, जिससे भुजबल को कई दिनों तक भूमिगत रहना पड़ा था।
शिवसेना में दूसरी फूट 2005 में हुई थी जब पार्टी की कमान उद्धव ठाकरे को मिली थी। उद्धव से नाराज नारायण राणे ने 10 विधायकों के साथ पार्टी तोड़ दी थी। उसके बाद हुए चुनाव में राणे के साथ गए सभी विधायकों ने उपचुनाव में जीत हासिल कर शिवसेना को तगड़ा झटका दिया था।
उसके बाद उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे ने भी शिवसेना छोड़ अलग रास्ता अपना लिया था। हालांकि पार्टी का कोई बड़ा नेता राज ठाकरे के साथ नहीं गया लेकिन उनके साथ शिवसेना काडर के कई स्थापित नेताओं ने भी शिवसेना को अलविदा कह दिया था। इस बार दो दर्जन से अधिक विधायकों की नाराजगी शिवसेना के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है।
शिवसेना से जुड़ने से पहले रिक्शा चलाते थे शिंदे
एकनाथ शिंदे मूलरूप से सतारा के हैं। 70 के दशक में उनका परिवार मुंबई से सटे ठाणे आ गया था। उस समय एकनाथ शिंदे की उम्र महज 10 साल थी। 80 के दशक में शिवसेना से जुड़ने से पहले शिंदे ठाणे में रिक्शा चलाते थे, लेकिन उसके बाद वे शिवसेना के प्रमुख नेता के रूप में उभरे। दरअसल, शिंदे तत्कालीन ठाणे शिवसेना प्रमुख आनंद दिघे के करीब आए और दिघे ने उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें आगे बढ़ाया और पार्षद का चुनाव जिताया।
फिर उन्हें ठाणे महानगरपालिका में सदन का नेता बनाया। इसके बाद शिंदे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2004 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले शिंदे चौथी बार विधायक बने हैं। साल 2014 में भाजपा-शिवसेना के अलग चुनाव लड़ने के बाद एकनाथ शिंदे विधानसभा में विपक्ष के नेता बने थे।
सरकार गिराने की तीसरी कोशिश
महाराष्ट्र सरकार को गिराने की यह तीसरी कोशिश है और मुझे पूरा भरोसा है कि यह भी नाकाम रहेगी। यह िशवसेना का अंदरूनी मामला है। ठाकरे इसे संभाल लेंगे।
-शरद पवार, एनसीपी प्रमुख
भाजपा का ऑपरेशन लोटस शुरू
भाजपा ने ‘ऑपरेशन लोटस’ शुरू कर दिया है। गुजरात में हमारे विधायकों की घेरेबंदी की गई है। विधायकों को अगवा किया गया है, इनमें से कई लौटना चाहते हैं। -संजय राउत, शिवसेना सांसद
संख्या बल के गुणा-भाग में जुटी भाजपा, राजस्थान की तर्ज पर जल्दबाजी दिखाने के मूड में नहीं है पार्टी
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए सीधा मोर्चा खोलने के बदले भाजपा फिलहाल इंतजार करने के मूड में है। सियासी महासंग्राम के बीच पार्टी की निगाहें एकनाथ शिंदे के साथ जुटने वाले विधायकों की संख्या पर है। पार्टी नहीं चाहती कि जरूरी संख्या के अभाव में राजस्थान की तरह महाराष्ट्र में भी उसे शिकस्त झेलनी पड़े।
इसलिए सरकार गिराने लायक जरूरी संख्या होने के बाद ही पार्टी अपनी सरकार बनाने की पहल करेगी। राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने फडणवीस को नजर रखने के लिए कहा है।
शिंदे पर कार्रवाई ने बढ़ाई उम्मीदें
मंगलवार दोपहर बाद शिवसेना द्वारा शिंदे की खिलाफ कार्रवाई ने भाजपा की उम्मीदें बढ़ाई हैं। कार्रवाई के साथ ही साफ हो गया है कि अब शिंदे शिवसेना में वापस नहीं लौटने वाले। पहले शिवसेना की ओर से हालात संभालने के लिए सुलह सफाई का प्रयास किया गया था। शिवसेना ने जहां कार्रवाई कर शिंदे के साथ गए विधायकों पर दबाव बनाया है, वहीं भाजपा भी यह भांपना चाहती है कि कार्रवाई के बाद शिंदे के साथ गए विधायक उनके साथ जमे रहते हैं या नहीं।
शिवसेना में भगदड़ के बाद कांग्रेस ने अपने विधायकों को टटोला
महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस ने शिवसेना में मची भगदड़ के बाद अपने विधायकों को भी टटोला। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिना देरी राज्य के बदले राजनीतिक माहौल को देखते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पर्यवेक्षक बनाकर स्थिति संभालने की जिम्मेदारी सौंप दी। बताते हैं पार्टी के कुछ विधायकों से संपर्क नहीं होने पर तत्काल राज्य के प्रभारी एचके पाटिल को दिल्ली से मुंबई रवाना किया गया। महाराष्ट्र के अन्य वरिष्ठ नेताओं की बैठक बाला साहेब थोराट के आवास पर हुई।
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महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में क्रॉस वोटिंग के ठीक बाद 30 से ज्यादा विधायकों के साथ शिवसेना नेता और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने बागी तेवर दिखाते हुए सूरत में डेरा डाल दिया। इससे सियासी उथल-पुथल मच गई और प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि मंगलवार देररात सूरत में ठहरे विधायकों को असम के गुवाहाटी शिफ्ट किया गया। इसके लिए सभी विधायकों को देररात ही बस से हवाई अड्डे पर पहुंचाया गया। शिंदे ने सीएम उद्धव ठाकरे के सामने एनसीपी-कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन बनाने की शर्त रखी है।
अब सूरत से निकलकर असम में डालेंगे डेरा
सूरत के ली मेरिडियन होटल में ठहरे शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे, पार्टी के 34 विधायकों और 7 निर्दलीय विधायक असम के गुवाहाटी रवाना होने के लिए सूरत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे।
कैसे शुरू हुआ सियासी संकट
सियासी घटनाक्रम विधान परिषद की 10 सीटों के चुनाव के तुरंत बाद ही शुरू हुआ। पर शिवसेना को जब तक इसकी भनक मिलती, शिंदे गुजरात पहुंच चुके थे। शिंदे का मोबाइल फोन सोमवार दोपहर बाद से ही नॉट रीचेबल हो गया। देर रात वह समर्थक विधायकों के साथ सूरत के पांच सितारा होटल पहुंचे। वहां पहुंचते ही विधायकों का भी शिवसेना से संपर्क टूट गया।
होटल में शिंदे के साथ शिवसेना के 15, एनसीपी का एक और निर्दलीय 14 विधायक हैं। तीन मंत्री भी हैं। बागी विधायक गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के संपर्क में हैं। बताया जा रहा है, सभी विधायक बुधवार सुबह तक गुवाहाटी भेजे जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है, गृह मंत्री अमित शाह पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। शाह ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक भी की।
कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना में अशांति है : सीटी रवि
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और महाराष्ट्र प्रभारी सीटी रवि ने कर्नाटक के बेंगलुरु में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना में अशांति है। हमने धोखा देने का काम नहीं किया, धोखा देने का काम महाविकास अघाड़ी ने किया है। 2019 से लेकर आज तक उन्होंने जनता के हित में क्या काम किया है? महाराष्ट्र के ताजा राजनीतिक हालात पर उन्होंने कहा कि मंत्री आदित्य ठाकरे और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे (सूरत के विधायकों के बारे में) से पूछें… एकनाथ शिंदे एक सार्वजनिक नेता हैं, मुझे नहीं पता कि उनके दिमाग में क्या है।