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बाजार में सब्जियों की कीमतें एक बार फिर आसमान छूने लगीं हैं। खुले बाजार में टमाटर 40 से 60 रूपये किलो, बैगन 60 रूपये किलो, आलू 30 रूपये किलो तो शिमला मिर्च 60 से 80 रूपये किलो तक बिक रहा है। इससे आम आदमी को एक बार फिर महंगाई की तगड़ी मार झेलनी पड़ रही है। लेकिन सब्जियों की बढ़ी कीमत का बड़ा हिस्सा किसानों के खाते में नहीं, बल्कि खुदरा दुकानदारों के हिस्से में जा रहा है। मंडी से खुदरा दुकानदारों तक पहुंचने में सब्जियां दो से तीन गुना तक महंगी हो रही हैं। यानी खुदरा दुकानदार सब्जियों की कीमत दो-तीन गुना महंगी करके बेच रहे हैं।
आजादपुर सब्जी मंडी में (एक अगस्त 2022) को टमाटर का मॉडल रेट 13.50 रूपये था, जबकि खुले बाजार में यही टमाटर 40 रूपये किलो में मिल रहा है। इस प्रकार टमाटर के मंडी के मूल्य और खुले बाजार में मूल्य में सीधे तीन गुने तक का अंतर है। प्रीमियम टमाटर का मंडी का रेट 26 रूपये किलो था जो खुले बाजार में 60 रूपये किलो तक में बिक रहा है। इसी प्रकार बैगन का मॉडल रेट 18.50 रूपये और प्रीमियम रेट 30 रूपये किलो था, जबकि खुले बाजार में बैगन 60 रूपये किलो बिक रहा है। यानी बैगन भी बाजार में मंडी के मूल्य से तीन गुने तक की कीमत में बिक रहा है।
आलू का मॉडल रेट 17.25 रूपये था, जबकि बाजार में इसी आलू की कीमत 25 से 30 रूपये है। प्याज का मॉडल रेट 11.75 रूपये था, जबकि खुले बाजार में यही प्याज 25 से 30 रूपये किलो बिक रहा है। गोभी का मॉडल रेट 28.75 रूपये था जो खुले बाजार में 60 से 80 रूपये प्रति किलो तक बिक रहा है। मंडी में 35 रूपये किलो वाला अदरक बाजार में 80 रूपये किलो, 23 रूपये किलो वाली भिंडी 40 से 50 रूपये किलो और 13 रूपये किलो वाला कद्दू खुले बाजार में 40 रूपये किलो बिक रहा है। लगभग हर सब्जी मंडी से खुले बाजार में दो से तीन गुना तक महंगी बिक रही है।
लागत बढ़ने से महंगी हुई सब्जियां
आजादपुर सब्जी मंडी के चेयरमैन आदिल अहमद खान ने अमर उजाला को बताया कि कुछ सब्जियों की कीमत में पिछले समय के हिसाब से बढ़ोतरी हुई है। इसका बड़ा कारण है कि सब्जियों को उगाने में किसानों की लागत बढ़ गई है। बिजली-डीजल महंगा होने से सब्जियों की सिंचाई महंगी हो गई है, जिसकी इस व्यापार में बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती है। इसके अलावा परिवहन लागत और बीज-खाद की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। इससे सब्जियों की कीमत मंडी में भी ज्यादा हुई है। इसके बाद थोक और खुदरा विक्रेता अपनी मार्जिन मनी निकालते हैं जिससे सब्जियों की लागत बढ़ गई है।
दिहाड़ी निकालना मुश्किल: फुटकर विक्रेता
दिल्ली के लक्ष्मीनगर मार्केट में खुले बाजार में सब्जी बेचने वाले विक्रेता विनोद कुमार ने अमर उजाला को बताया कि कुछ सब्जियां मंडी से खुले साप्ताहिक बाजार में दो से तीन गुने तक महंगी बिकती हैं, लेकिन इसके पीछे कई कारण हैं। मंडी से बाजार तक सब्जी लाने में ऑटो-ई रिक्शा का किराया महंगा हो गया है। इसके अलावा एक व्यक्ति को मंडी से सब्जी खरीदकर लाने के लिए सुबह तीन बजे जाना पड़ता है, उसे लेकर घर आकर साफ करना और शाम को दुबारा मार्केट में जाकर बेचना पूरे दिन का काम होता है।
इसके अलावा कई बार पूरी सब्जियां नहीं बिक पाती हैं। उन्हें दूसरे दिन कम कीमत पर बेचना पड़ता है। कुछ सब्जियां खराब भी हो जाती हैं। इन सबकी औसत कीमत निकालने में सब्जियों की कीमत बढ़ जाती है। सब्जी विक्रेता के मुताबिक, इस महंगाई के जमाने में ऑटो रिक्शा से सब्जी लाने का किराया निकालने के बाद एक मजदूर के लिए 500 से 700 रूपये की दिहाड़ी निकालना भी मुश्किल हो जाता है।