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Rice Production In India There Is A Danger Of Rising Rice Prices In The Country, Is This The Reason – Rice Production In India: देश में चावल की कीमतें बढ़ने का मंडराया खतरा, ये है कारण?

News Desk by News Desk
August 5, 2022
in Business
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Rice Production In India There Is A Danger Of Rising Rice Prices In The Country, Is This The Reason – Rice Production In India: देश में चावल की कीमतें बढ़ने का मंडराया खतरा, ये है कारण?


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दुनिया के खाद्य पदार्थों के बाजार में चावल की कमी एक नई समस्या के रूप में सामने आ सकती है। इसका कारण भारत के कुछ इलाकाें में बारिश की कमी से धान की बुआई में कमी आना है। देश में पिछले तीन सालों में धान की खेती का बुआई क्षेत्र सबसे कम हो गया है। बता दें कि भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है ऐसे में यहां धान की बुआई कम होने से चावल का उत्पादन कम होगा इसका असर घरेलू बाजार के साथ-साथ उन देशों पर भी पड़ेगा जहां भारत चावल का निर्यात करता है।

इस साल धान की बुआई में आई 13% की कमी

भारत में चावल उत्पादन पर खतरा ऐसे समय में मंडरा रहा है जब दुनियाभर के देश खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। भारत में इस साल अब तक धान की बुआई में 13 प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है और इसका कारण है देश के कुछ हिस्सों खासकर बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पर्यात बारिश का ना होगा। बता दें कि सिर्फ ये दो राज्य ही मिलकर देश में लगभग एक चौथाई चावल का उत्पादन करते हैं।  

चावल के व्यापारियों का मानना है कि देश में इसका कम उत्पादन जहां महंगाई के साथ लड़ाई को कमजोर करेगा वहीं हमें निर्यात पर पाबंदी लगाने के लिए मजबूर भी करेगा। अगर ऐसा होता है तो भारत के चावल पर निर्भर करोड़ों लोगों को इसके दुष्परिणाम झेलने पड़ेंगे। दुनियाभर में चावल के कारोबार में भारत की हिस्सेदारी 40% है। सरकार देश में कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं और चीनी के निर्यात पर पहले ही कई तक की बंदिशें लगा चुकी है। 

उत्पादन में कमी की चिंता से बढ़ने लगीं कीमतें

भारत में चावल की बढ़ी कीमतें भी उत्पादन में कमी के प्रति चिंता को जाहिर करतीं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चावल के कुछ किस्मों कीमतें पिछले दो हफ्तों के दौरान बारिश में कमी के कारण देश के बड़े चावल उत्पादक प्रदेशों पश्चिम बंगाल, ओडिसा और छत्तीसगढ़ में 10% तक बढ़ चुकी है। बंग्लादेश में मांग बढ़ने से भी इन राज्यों में चावल की कीमतों में तेजी आ रही है।  

बता देंं कि दुनिया में चावल का सबसे अधिक उत्पादन और उपभोग एशिया में ही किया जाता है। एशियाई प्रायद्वीप में राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिहाज से यह एक अहम कड़ी है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद गेहूं और मकई की कीमतों में उछाल आने के बाद चावल पर निर्भरता बढ़ी इससे खाद्य संकट को दूर करने में तो मदद मिली है पर चावल का पर्याप्त भंडार भी कम हो गया।

मौनसून पर निर्भर है भारत में चावल का उत्पादन 

भारत में चावल की फसल का उत्पादन अब बहुत हद तक मौनसून की प्रगति पर निर्भर है। कुछ कृषि वैज्ञानिक आशावादी हैं कि रोपनी के लिए अभी समय बचा है। अगस्त और सितंबर  महीने में सामान्य बारिश का अनुमान है, ऐसे में अगर मानूसन का साथ मिलता है तो फसल उत्पादन में सुधार हो सकता है। वहीं किसानों का कहना है कि जून महीने में बारिश की कमी के कारण उन्हें धान की बुआई में कटौती करनी पड़ी है।अब भी अगर ढंग से बारिश नहीं हुई तो समस्या वाकई गंभीर हो सकती है। 

चावल के उत्पादन में कमी से और बढ़ेगी महंगाई

चावल के उत्पादन में कमी से देश में जारी महंगाई से लड़ाई भी प्रभावित हो सकती है। देश में महंगाई की दर आरबीआई के टॉलरेंस लेवल छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इससे ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना भी बढ़ गई है। आरबीआई रुपये में मजबूती लाने की कवायद के तहत इस हफ्ते इस पर फैसला ले सकता है।  

दुनिया 100 देशों को चावल सप्लाई करता है भारत 

भारत दुनिया के 100 से अधिक देशों को चावल की सप्लाई करता है इनमें बांग्लादेश, चीन, नेपाल और मिडिल ईस्ट के कई देश शामिल हैं। हालांकि दुनिया में खाद्य सुरक्षा के लिहाज से कुछ अच्छी खबरें भी आ रही हैं अमेरिका में आने वाले हफ्तों में गेहूं का बंपर उत्पादन हो सकता है, वहीं रूस के साथ लड़ाई शुरू होने के बाद पहली बार यूक्रेन से भी खाद्य पदार्थों की खेप रवाना की जा चुकी है। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन को बड़ा सहारा मिलेगा। कुछ जानकारों का मानना है कि भारत के कई राज्यों में धान की खेती के घटते क्षेत्रफल को देखते हुए सरकार को इथेनॉल उत्पादन में चावल की सप्लाई की अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। 

विस्तार

दुनिया के खाद्य पदार्थों के बाजार में चावल की कमी एक नई समस्या के रूप में सामने आ सकती है। इसका कारण भारत के कुछ इलाकाें में बारिश की कमी से धान की बुआई में कमी आना है। देश में पिछले तीन सालों में धान की खेती का बुआई क्षेत्र सबसे कम हो गया है। बता दें कि भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है ऐसे में यहां धान की बुआई कम होने से चावल का उत्पादन कम होगा इसका असर घरेलू बाजार के साथ-साथ उन देशों पर भी पड़ेगा जहां भारत चावल का निर्यात करता है।

इस साल धान की बुआई में आई 13% की कमी

भारत में चावल उत्पादन पर खतरा ऐसे समय में मंडरा रहा है जब दुनियाभर के देश खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। भारत में इस साल अब तक धान की बुआई में 13 प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है और इसका कारण है देश के कुछ हिस्सों खासकर बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पर्यात बारिश का ना होगा। बता दें कि सिर्फ ये दो राज्य ही मिलकर देश में लगभग एक चौथाई चावल का उत्पादन करते हैं।  

चावल के व्यापारियों का मानना है कि देश में इसका कम उत्पादन जहां महंगाई के साथ लड़ाई को कमजोर करेगा वहीं हमें निर्यात पर पाबंदी लगाने के लिए मजबूर भी करेगा। अगर ऐसा होता है तो भारत के चावल पर निर्भर करोड़ों लोगों को इसके दुष्परिणाम झेलने पड़ेंगे। दुनियाभर में चावल के कारोबार में भारत की हिस्सेदारी 40% है। सरकार देश में कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं और चीनी के निर्यात पर पहले ही कई तक की बंदिशें लगा चुकी है। 

उत्पादन में कमी की चिंता से बढ़ने लगीं कीमतें

भारत में चावल की बढ़ी कीमतें भी उत्पादन में कमी के प्रति चिंता को जाहिर करतीं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चावल के कुछ किस्मों कीमतें पिछले दो हफ्तों के दौरान बारिश में कमी के कारण देश के बड़े चावल उत्पादक प्रदेशों पश्चिम बंगाल, ओडिसा और छत्तीसगढ़ में 10% तक बढ़ चुकी है। बंग्लादेश में मांग बढ़ने से भी इन राज्यों में चावल की कीमतों में तेजी आ रही है।  

बता देंं कि दुनिया में चावल का सबसे अधिक उत्पादन और उपभोग एशिया में ही किया जाता है। एशियाई प्रायद्वीप में राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिहाज से यह एक अहम कड़ी है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद गेहूं और मकई की कीमतों में उछाल आने के बाद चावल पर निर्भरता बढ़ी इससे खाद्य संकट को दूर करने में तो मदद मिली है पर चावल का पर्याप्त भंडार भी कम हो गया।

मौनसून पर निर्भर है भारत में चावल का उत्पादन 

भारत में चावल की फसल का उत्पादन अब बहुत हद तक मौनसून की प्रगति पर निर्भर है। कुछ कृषि वैज्ञानिक आशावादी हैं कि रोपनी के लिए अभी समय बचा है। अगस्त और सितंबर  महीने में सामान्य बारिश का अनुमान है, ऐसे में अगर मानूसन का साथ मिलता है तो फसल उत्पादन में सुधार हो सकता है। वहीं किसानों का कहना है कि जून महीने में बारिश की कमी के कारण उन्हें धान की बुआई में कटौती करनी पड़ी है।अब भी अगर ढंग से बारिश नहीं हुई तो समस्या वाकई गंभीर हो सकती है। 

चावल के उत्पादन में कमी से और बढ़ेगी महंगाई

चावल के उत्पादन में कमी से देश में जारी महंगाई से लड़ाई भी प्रभावित हो सकती है। देश में महंगाई की दर आरबीआई के टॉलरेंस लेवल छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इससे ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना भी बढ़ गई है। आरबीआई रुपये में मजबूती लाने की कवायद के तहत इस हफ्ते इस पर फैसला ले सकता है।  

दुनिया 100 देशों को चावल सप्लाई करता है भारत 

भारत दुनिया के 100 से अधिक देशों को चावल की सप्लाई करता है इनमें बांग्लादेश, चीन, नेपाल और मिडिल ईस्ट के कई देश शामिल हैं। हालांकि दुनिया में खाद्य सुरक्षा के लिहाज से कुछ अच्छी खबरें भी आ रही हैं अमेरिका में आने वाले हफ्तों में गेहूं का बंपर उत्पादन हो सकता है, वहीं रूस के साथ लड़ाई शुरू होने के बाद पहली बार यूक्रेन से भी खाद्य पदार्थों की खेप रवाना की जा चुकी है। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन को बड़ा सहारा मिलेगा। कुछ जानकारों का मानना है कि भारत के कई राज्यों में धान की खेती के घटते क्षेत्रफल को देखते हुए सरकार को इथेनॉल उत्पादन में चावल की सप्लाई की अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। 



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