प्रदेश के सुसाइड के मामले भी चौंकाने वाले हैं। बीते छह साल में यहां 25 हजार 845 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। यह आंकड़ा 2015 से 2020 तक का ही है। इसके अनुसार हर साल आत्महत्या करने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ज्यादातर मामलों में आत्महत्या का कारण, पारिवारिक विवाद, तनाव, बेरोजगारी, मानसिक प्रताड़ना, प्रेम प्रसंग, कर्ज, वैवाहिक जीवन में कलेश, लंबी बीमारी सहित अन्य कारण होते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि मलेरिया, स्तन कैंसर, एड्स और युद्ध से जितने लोगों की मृत्यु नहीं होती उससे ज्यादा आत्महत्याएं हो रही हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है। प्रदेश की बात करें तो यहां 2020 में 5658, 2019 में 4531, 2018 में 4333, 2017 में 4188, 2016 में 3678 और 2015 में 3457 आत्महत्याएं हुई। छह साल में 25 हजार 845 लोगों ने खुद ही अपनी जान ले ली।
वहीं, बीते दो साल साल में प्रदेश में सामूहिक सुसाइड का खतरनाक ट्रेंड देखने को मिल रहा है। सामूहिक आत्महत्याओं का कोई आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको पांच बड़े मामले बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं…
अजमेर में चार बच्चों संग कुए में कूंदी मां, मासूमों की मौत
प्रदेश के अजमेर जिले के मांगलियावास थाना के गीगलपुरा (गोला) गांव में सामूहिक सुसाइड का ताजा मामला सामने आया है। शुक्रवार रात दस बजे मोती देवी पत्नी बोदु गुर्जर (32) का परिवार में झगड़ा हो गया। इससे गुस्साई मोती देवी अपने चार बच्चों को लेकर घर से निकल गई और बलदेव राम गुर्जर के कुएं में बच्चों के साथ कूद गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने चारों बच्चों को कुंए से बाहर निकलवाया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। वहीं मोतीदेवी की जान बचा ली गई। पारिवारिक कलह और मां के गुस्से ने कोमल (4), रिंकू (3), राजवीर (2) और देवराज (1) की जान चली गई। महिला के पति ने बोदू ने पुलिस को बताया कि डिलिवरी के बाद से उसकी पत्नी डिप्रेशन में थी। मानसिक तनाव के चलते वह बच्चों सहित कुएं में कूद गई थी।
दो बच्चों के साथ विवाहिता ने की आत्महत्या, एक सिर्फ सात महीने का था
जोधपुर में 19 जून को एक विवाहिता ने अपने दो बच्चों के साथ टांके में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। लोहावट थाना क्षेत्र के शैतान सिंह नगर के रहने वाले आईदान सिंह के घर रविवार कोई नहीं था। इस दौरान उसकी पत्नी बेबू कंवर (24) अपने दो साल के बेटे देवेंद्र सिंह और सात महीने के तेजपाल सिंह को लेकर घर के बाहर बने टांके में कूद गई। उसकी सास जब घर पहुंची तो उसे वहां कोई नहीं मिला। उसकी नजर घर के बाहर बने टांके पर पड़ी, उसका ढक्कन खुला था। ऐसे में उसने अंदर देखा तो तीनों के पानी में उतरा रहे थे। मृतका के पिता ने ससुराल पक्ष पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
दो बच्चों संग तीन बहनों ने की खुदकुशी, दो गर्भवती थीं
29 मई को जयपुर में तीन सगी बहनों ने ससुरालियों की प्रताड़ना से तंग आकर खुदकुशी की थी। कुंए में कूदने से पहले उन्होंने दो बच्चों को उसमें फेंक दिया था। मरने वाले तीन बहनों में से एक आठ और दूसरी नौ महीने की गर्भवती थी। आत्महत्या से पहले एक मृतका ने वॉट्सएप पर एक स्टेट्स भी लगाया था, जिसमें लिखा था- ‘हम पांच के मरने का कारण हमारे ससुराल वाले हैं। हम मरना नहीं चाहते पर इनके शोषण से अच्छी मौत है। हमारे मां-पापा की इसमें कोई गलती नहीं थी। हम जा रहे हैं, अब सब खुश रहना। रोज मरने से अच्छा हम सब मिलकर मर रहे हैं। हे, भगवान अगले जन्म में हम बहनों को एक साथ जन्म देना। मेरे परिवार वालों से निवेदन है कि वे हमारी चिंता न करें’। विवाहिताओं के मायके वालों ने भी ससुराल पक्ष पर बेटियों को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे। उनकी शिकायत पर पुलिस ने पति नरसी राम, मुकेश मीणा जगदीश मीणा, सास संतोष, जेठानी मीनू मीणा सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया किया था।
किसान पिता ने दो बेटियों के साथ लगा ली फांसी
बाड़मेर जिले में 17 जून को एक किसान ने अपने दो बेटियों के साथ आत्महत्या कर थी। जिले के सणपा गांव में रहने वाले किसान शंकराराम (55) ने अपनी दो बेटियों धुड़ी (15) और सुआ (30) के साथ फांसी लगा ली थी। ससुराल में हुए विवाद के बाद सुआ कुछ दिन पहले ही पीहर आई थी। उसका भाई खेताराम अपने पिता से उसे सुसराल भेजने की बात कह रहा था। इस बात को लेकर परिवार में विवाद हो गया। शंकराराम बेटी को ससुराल नहीं भेजना चाहता थे, लेकिन उनका बेटा उसे भेजने की जिद कर रहा था। पारिवारिक विवाद तड़के सुबह शंकराराम ने अपनी दो बेटियों के साथ घर के पीछे खेत में लगे पेड़ से लटकर जान दे दी। सुआ की शादी करीब दस साल पहले हुई थी। उसका एक आठ साल का बेटा भी है।