यूपी बोर्ड 2021 की परीक्षा के नतीजों असंतुष्ट हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 8785 परीक्षार्थी 2022 की परीक्षा में फेल हो गए और दो साल पिछड़ गए। अब इन्हें 2023 की बोर्ड परीक्षा देनी होगी। वहीं, 29 हजार से अधिक परीक्षार्थियों ने यूपी बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है, लेकिन उन्हें वर्ष 2021 का प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
पिछले साल कोविड के कारण यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा आयोजित नहीं की गई थी। सभी परीक्षार्थियों को निर्धारित फार्मूले के तहत औसत अंकों के आधार पर प्रमोट कर दिया गया था। इसके तहत 2021 में हाईस्कूल के 29,96,031 विद्यार्थियों में से 29,82,055 छात्र-छात्राओं (99.53 फीसदी) और इंटर के 26,10,247 छात्र-छात्राओं में से 25,54,813 विद्यार्थियों (97.88 फीसदी) को उत्तीर्ण घोषित किया गया था।
साथ ही विद्यार्थियों को विकल्प दिया गया था कि अगर वे परीक्षाफल से संतुष्ट नहीं हैं तो बेहतर अंकों के लिए 2022 की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। इसके बाद प्रदेश भर से 51,457 छात्र-छात्राओं ने 2022 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल होने के लिए पंजीकरण कराया और इनमें से 38531 परीक्षार्थी 2022 की परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से 29,746 परीक्षार्थी (77.20 फीसदी) उत्तीर्ण घोषित किए गए हैं, जबकि 8,785 परीक्षार्थी (22.80 फीसदी) फेल हो गए हैं।
सरकार की ओर से पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि प्रमोशन पाने वाले जिन विद्यार्थियों को 2022 की परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया गया है, उन्हें हर हाल में पास होना होगा। फेल होने पर 2021 में मिला प्रमाणपत्र भी निरस्त कर दिया जाएगा। ऐसे में फेल हुए 8785 परीक्षार्थियों को अब 2023 की बोर्ड परीक्षा देनी होगी।
परीक्षा छोड़ने वालों का नहीं हुआ नुकसान
वर्ष 2021 की परीक्षा में प्रमोशन से असंतुष्ट जिन छात्रों ने वर्ष 2022 की यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए आवेदन तो किए थे, लेकिन परीक्षा में शामिल नहीं हुए, उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। पंजीकरण कराने वाले 51547 विद्यार्थियों में से 13016 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा नहीं दी। ऐसे विद्यार्थियों का 2021 का प्रमाणपत्र ही मान्य होगा।
आंतरिक मूल्यांकन, शैक्षणिक रिकार्ड पर मिला था प्रमोशन
यूपी बोर्ड 2021 की परीक्षा में आंतरिक मूल्यांकन और शैक्षणिक रिकार्ड के आधार पर छात्र-छात्राओं को प्रमोट किया गया था। आंतरिक परीक्षा में स्कूल अपने विद्यार्थियों को मनमाने अंक देकर उन्हें अनावश्यक लाभ न पहुंचा सकें, इसके लिए स्कूलों के पूर्व में किए गए प्रदर्शन को भी आधार बनाया गया था। सभी छात्रों को औसत अंकों के आधार प्रमोट किया गया था, ताकि बाद में कोई विवाद न हो। इसके बावजूद 51457 परीक्षार्थी परिणाम से असंतुष्ट थे।
इनका कहना है
वर्ष 2021 की परीक्षा से असंतुष्ट जो परीक्षार्थी 2022 की यूपी बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए, उनमें से 70 फीसदी से अधिक उत्तीर्ण हुए हैं, लेकिन इन्हें 2021 का ही प्रमाणपत्र दिया जाएगा। -दिव्यकांत शुक्ल, सचिव, यूपी बोर्ड
विस्तार
यूपी बोर्ड 2021 की परीक्षा के नतीजों असंतुष्ट हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 8785 परीक्षार्थी 2022 की परीक्षा में फेल हो गए और दो साल पिछड़ गए। अब इन्हें 2023 की बोर्ड परीक्षा देनी होगी। वहीं, 29 हजार से अधिक परीक्षार्थियों ने यूपी बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है, लेकिन उन्हें वर्ष 2021 का प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
पिछले साल कोविड के कारण यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा आयोजित नहीं की गई थी। सभी परीक्षार्थियों को निर्धारित फार्मूले के तहत औसत अंकों के आधार पर प्रमोट कर दिया गया था। इसके तहत 2021 में हाईस्कूल के 29,96,031 विद्यार्थियों में से 29,82,055 छात्र-छात्राओं (99.53 फीसदी) और इंटर के 26,10,247 छात्र-छात्राओं में से 25,54,813 विद्यार्थियों (97.88 फीसदी) को उत्तीर्ण घोषित किया गया था।
साथ ही विद्यार्थियों को विकल्प दिया गया था कि अगर वे परीक्षाफल से संतुष्ट नहीं हैं तो बेहतर अंकों के लिए 2022 की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। इसके बाद प्रदेश भर से 51,457 छात्र-छात्राओं ने 2022 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल होने के लिए पंजीकरण कराया और इनमें से 38531 परीक्षार्थी 2022 की परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से 29,746 परीक्षार्थी (77.20 फीसदी) उत्तीर्ण घोषित किए गए हैं, जबकि 8,785 परीक्षार्थी (22.80 फीसदी) फेल हो गए हैं।
सरकार की ओर से पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि प्रमोशन पाने वाले जिन विद्यार्थियों को 2022 की परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया गया है, उन्हें हर हाल में पास होना होगा। फेल होने पर 2021 में मिला प्रमाणपत्र भी निरस्त कर दिया जाएगा। ऐसे में फेल हुए 8785 परीक्षार्थियों को अब 2023 की बोर्ड परीक्षा देनी होगी।
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