राघवेन्द्र सिंह यादव, भीतरगांव
Published by: शिखा पांडेय
Updated Mon, 13 Jun 2022 03:36 PM IST
घाटमपुर में भीतरगांव के बेंहटा-बुजुर्ग गांव स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर के गुंबद में लगे मानसूनी पत्थर से पानी की बूंदें टपकनी शुरू हो गई हैं। पानी की बूंदों का घनत्व अभी छोटा हैं। सप्ताह भर बाद बूदों का आकार बढ़ने की उम्मीद है। इस संकेत के बाद इलाके के लोग भगवान जगन्नाथ बाबा की कृपा मानकर मानसूनी बादल नजदीक समझ अपने घरेलू और खेती किसानी के काम निपटाने में जुट गए ।
इलाके के लोगों ने बताया कि वह लोग अपने पुरखों से सुनते चले आए हैं कि जगन्नाथ मंदिर की छत पर लगे पत्थर से जब पानी की बूंदें टपकनी शुरू हो जाती हैं तो इसके एक पखवारे बाद मानसून सक्रिय हो जाता है। यदि बूंदों का आकार कम होता है तो उस वर्ष बारिश भी कमजोर होती है। भीतरगांव इलाके के बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर एक आयताकार पत्थर लगा है।
प्रति वर्ष मई महीने में चिलचिलाती गर्मी के बीच उस पत्थर में पानी की छोटी-छोटी बूंदें आ जाती हैं। यही छोटी-छोटी बूंदें इकट्ठा होकर बड़ी बूंदों का आकार बनाकर मंदिर में गर्भगृह के फर्श पर टपकती रहती हैं। बूंदों का टपकना तब तक जारी रहता है जब तक कि मानसूनी बारिश शुरू न हो जाए। बुजुर्गों के मुताबिक मानसूनी बारिश आने के एक पखवाड़े पहले मंदिर की छत से बूंदें टपकने लगती हैं और वर्षा शुरू होते ही छत का अंदरूनी भाग पूरी तरह सूख जाता है।
बेहटा बुजुर्ग निवासी मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला, दिनेश शुक्ला, देवी प्रसाद ने बताया कि 14 मई की शाम से गर्भ ग्रह में लगे मानसूनी पत्थर के चारों किनारों पर छोटी-छोटी बूंदें एकत्रित होने लगी थीं। कुछ बूंदें मंदिर के नीचे फर्श पर भी टपकी हैं।
मंदिर के ऊपर लगा अष्टधातु से निर्मित चक्र
इतिहासकारों के मुताबिक इसका निर्माण काल 9वीं शताब्दी के आसपास प्रतापी सम्राट हर्षवर्धन के समय का है। देश-विदेश में इसकी ख्याति मानसूनी मंदिर के नाम से है।
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घाटमपुर में भीतरगांव के बेंहटा-बुजुर्ग गांव स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर के गुंबद में लगे मानसूनी पत्थर से पानी की बूंदें टपकनी शुरू हो गई हैं। पानी की बूंदों का घनत्व अभी छोटा हैं। सप्ताह भर बाद बूदों का आकार बढ़ने की उम्मीद है। इस संकेत के बाद इलाके के लोग भगवान जगन्नाथ बाबा की कृपा मानकर मानसूनी बादल नजदीक समझ अपने घरेलू और खेती किसानी के काम निपटाने में जुट गए ।
इलाके के लोगों ने बताया कि वह लोग अपने पुरखों से सुनते चले आए हैं कि जगन्नाथ मंदिर की छत पर लगे पत्थर से जब पानी की बूंदें टपकनी शुरू हो जाती हैं तो इसके एक पखवारे बाद मानसून सक्रिय हो जाता है। यदि बूंदों का आकार कम होता है तो उस वर्ष बारिश भी कमजोर होती है। भीतरगांव इलाके के बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर एक आयताकार पत्थर लगा है।
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