स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Mon, 13 Jun 2022 07:40 PM IST
विश्व यूथ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश को पहली बार स्वर्ण पदक दिलाने वाले 16 साल के सेनापति गुरुनायडु को कभी दो वक्त का खाना नसीब नहीं होता था। पिता दूसरे के खेतों में काम करते थे और गुरुनायडु को वेटलिफ्टिंग का शौक लग चुका था। वेटलिफ्टिंग के लायक खाना नहीं मिलने के बावजूद गुरुनायडु ने इस खेल को नहीं छोड़ा। उनके भाई सेनापति रामकृष्ण उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। आखिर उनकी यह मेहनत रंग ला गई। उन्होंने स्नैच (104 किलो) में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर 55 भार वर्ग का स्वर्ण अपने नाम किया। उन्होंने कुल 230 किलो वजन उठाया। गुरुनायडु ने मैक्सिको से अमर उजाला को बताया कि उनके लिए यह स्वर्ण बेहद अहम है। कभी सोचा नहीं था कि इतनी गरीबी के बावजूद इस खेल को जारी रख पाऊंगा।
आर्मी ब्वाएज में जाने से दूर हुई दिक्कतें
आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में पड़ते चंद्रमपेटे गांव के गुरुनायडु बताते हैं कि वह 11 साल के थे तो स्कूल में सीनियर को वेटलिफ्टिंग करते देखा। यहीं से उन्होंने यह खेल करने की ठान ली। शुरुआत में काफी दिक्कतें आईं। इस खेल के लायक खाना नहीं मिलता था, लेकिन भाई उन्हें निराश नहीं होने देते थे। 2017 में आर्मी ब्वाएज, सिकंदराबाद में उनका चयन हो गया। यहां जाने के बाद उनकी खाने की दिक्कतें दूर हुईं। तब उन्होंने दोगुनी मेहनत शुरू कर दी। गुरुनायडु खुद वेटलिफ्टिंग करते हैं, लेकिन उनका छोटा भाई बॉक्सिंग कर रहा है।
कोच की उम्मीद से किया बेहतर प्रदर्शन
गुरुनायडु के कोच देश को राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण दिलाने वाले यूकार सीबी हैं। यूकार बताते हैं कि गुरुनायडु से उन्हें स्नैच में 100 किलो वजन उठाने की उम्मीद थी, लेकिन उसने वहां 104 किलो उठाकर अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। यही उसके स्वर्ण जीतने का कारण है। यूकार के मुताबिक गुरुनायडु की इच्छाशक्ति बेहद मजबूत है। अभी वह 16 साल का है। आगे और कमाल दिखा सकता है। गुरुनायडु भी कहते हैं कि उनका लक्ष्य ओलंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेल हैं।
सौम्या ने जीता कांस्य
वहीं 45 किलो में महाराष्ट्र की सौम्या दाल्वी 148 किलो वजन उठाकर कांस्य पदक जीता। उन्होंने स्नैच में 65 और क्लीन एंड जर्क में 83 किलो वजन उठाया। इससे पहले रविवार को विजय प्रजापति ने 49 और आकांक्षा व्यवहारे ने 40 भार वर्ग में में रजत जीता था।
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विश्व यूथ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश को पहली बार स्वर्ण पदक दिलाने वाले 16 साल के सेनापति गुरुनायडु को कभी दो वक्त का खाना नसीब नहीं होता था। पिता दूसरे के खेतों में काम करते थे और गुरुनायडु को वेटलिफ्टिंग का शौक लग चुका था। वेटलिफ्टिंग के लायक खाना नहीं मिलने के बावजूद गुरुनायडु ने इस खेल को नहीं छोड़ा। उनके भाई सेनापति रामकृष्ण उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। आखिर उनकी यह मेहनत रंग ला गई। उन्होंने स्नैच (104 किलो) में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर 55 भार वर्ग का स्वर्ण अपने नाम किया। उन्होंने कुल 230 किलो वजन उठाया। गुरुनायडु ने मैक्सिको से अमर उजाला को बताया कि उनके लिए यह स्वर्ण बेहद अहम है। कभी सोचा नहीं था कि इतनी गरीबी के बावजूद इस खेल को जारी रख पाऊंगा।
आर्मी ब्वाएज में जाने से दूर हुई दिक्कतें
आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में पड़ते चंद्रमपेटे गांव के गुरुनायडु बताते हैं कि वह 11 साल के थे तो स्कूल में सीनियर को वेटलिफ्टिंग करते देखा। यहीं से उन्होंने यह खेल करने की ठान ली। शुरुआत में काफी दिक्कतें आईं। इस खेल के लायक खाना नहीं मिलता था, लेकिन भाई उन्हें निराश नहीं होने देते थे। 2017 में आर्मी ब्वाएज, सिकंदराबाद में उनका चयन हो गया। यहां जाने के बाद उनकी खाने की दिक्कतें दूर हुईं। तब उन्होंने दोगुनी मेहनत शुरू कर दी। गुरुनायडु खुद वेटलिफ्टिंग करते हैं, लेकिन उनका छोटा भाई बॉक्सिंग कर रहा है।
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